बचपन में न समझे माँ की पायरी ममता को
समझे तो बचपन कहा बच पाया ,
घर पराये जाकर माँ का प्यार याद आया ,
फिर आई भाभी घरमें
घर जो अपना कहते थे
भाभी का कहलाया ,
माँ की ममता में तो फिर भी अंतर न आया
पर भाभी के कड़वे वचनो से दिल भर आया
जब समझे प्यार माँ का
समय बदल चूका था
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