Wednesday, May 8, 2019

माँ

बचपन में न समझे माँ  की पायरी ममता को 
समझे तो बचपन कहा बच पाया ,
घर पराये जाकर माँ का प्यार याद आया ,

फिर आई भाभी घरमें 
घर जो अपना कहते थे 
भाभी का कहलाया ,
माँ की ममता में तो फिर भी अंतर न आया 
पर भाभी के कड़वे वचनो से दिल भर आया 
जब समझे प्यार माँ का 
समय बदल चूका था

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